Brahmacharya: How To Be Positive While Practicing Celibacy?

Brahmacharya: How To Be Positive While Practicing Celibacy? By My Experience.

Date: August 25, 2019 Posted by: admin In: Celibacy, Positive Vibrations

Be Positive Always While Practicing Celibacy

Brahmacharya: How To Be Positive While Practicing Celibacy?
Brahmacharya: How To Be Positive While Practicing Celibacy?

Celibacy means to feel the inner joy, not asking joy from others. They never expect from any one. They are giver only. They feel their inner happiness and share the same with others. I will post my experience in Hindi below.

Motivation while practicing celibacy

ब्रह्मचर्य

दोस्तों, मैं आपसे इस ब्लॉग पोस्ट में यह शेयर करना चाहता हूँ कि लोग ब्रह्मचर्य का पालन करने के दौरान सकरात्मक कैसे रहें | ऐसा देखा जाता हैं कि लोग ब्रह्मचर्य का पालन करते तो है लेकिन परिस्थितिवश वो परेशान हो जाते हैं और कुछ लोग तो ब्रह्मचर्य छोड़ भी देते हैं | लेकिन मैं कुछ अनुभव और ज्ञान शेयर करना चाहता हूँ जो मुझे प्राप्त हुआ हैं जो मेरे ब्रह्मचर्य को मजबूत बनाया |

ब्रह्मचर्य का पालन करना कोई आसान काम नहीं होता हैं, यह वही ज्ञानी लोग कर सकते है जिन्हे अपने अंदर छुपे शक्तियों का आभास हो जाता हैं और वो पूरी तरह अपने आप में ही खुश रहते हैं | उनका किसी से भी कोई अपेक्षा नहीं होता हैं | वो पूरी दुनिया को कुछ न कुछ देते हैं | ऐसे कई महान विद्वान, ऋषि हुए जिन्होंने काफी बड़े बड़े खोज किये और दुनिया को बहुत कुछ देकर गए | ऐसा उनके ब्रह्मचर्य के नियम के चलते हो पाया और वो महान आत्मा बन गए |

लेकिन जब कोई व्यक्ति ब्रह्मचर्य का पालन करना शुरू करता हैं तो शुरू-शुरू में वो यह निर्णय तो कर लेता हैं लेकिन परिथिति उसके सामने पूर्ण रूप से नकरात्मक होती हैं और वो इंसान परेशान हो जाता हैं और कुछ लोग तो परेशान होकर ब्रह्मचर्य को छोड़ भी देते हैं | इस लेख में मैं उनलोगो की मदद करना चाहता हूँ और कुछ ज्ञान के पॉइंट्स शेयर करना चाहता हूँ ताकि वो इसे पढ़कर उत्साहित हो सके | ब्रह्मचर्य क्यों जरुरी हैं यह जानने के लिए मेरा यह लेख देखे:

Why practice Celibacy ? ब्रह्मचर्य क्यों?

ब्रह्मचर्य के दौरान नकरात्मकता के कारण – सकरात्मक कैसे रहें?

#Scene 1:

Negative Point: जब कोई शादीशुदा ब्रह्मचर्य का पालन करता हैं तो सबसे बड़ी बाधा उसे अपने युगल के तरफ से आती हैं कि कैसे उसे समझाए कि वो उसका सहयोग करे ब्रह्मचर्य का पालन करने में |

Positive Points: वीडियो में मैंने कहीं सुना कि श्री रामकृष्ण परमहंस की शादी हुई तो उन्होंने अपनी पत्नी से पूछा कि तुम मुझे पतित(ब्रह्मचर्य भंग) बनाने आयी हो तो उनकी पत्नी ने उन्हें बहुत अच्छा जवाब दिया कि नहीं मैं आपकी ब्रह्मचर्य के नियम को भंग करने नहीं बल्कि मैं आपको इसमें सहयोग करने आयी हूँ |

तो दोस्तों इसमें आपको नेगेटिव सोचने की जरुरत नहीं हैं कि आपने ब्रह्मचर्य(जो एक बहुत ही अच्छा पहल हैं गृहस्थ जीवन को खुशहाल बनाने का) को अपनाया और आपकी पत्नी या पति सहयोग नहीं करते हैं |आपको इसके सकरात्मक पहलुओं को सोचना हैं कि जरूर सामने वाले को इसका ज्ञान नहीं हैं तभी वो इस बात को नहीं मान पा रहा हैं | प्रेम की शक्ति में बहुत ताकत हैं, इसलिए अपने युगल को आप बड़े प्यार से समझाएं ।

आपको अपने युगल को पुरे ब्रह्मचर्य का ज्ञान देना हैं और उन्हें समझाना हैं | वो जरूर समझेंगे | चूँकि पति-पत्नी के बीच का रिश्ता बड़ा अनमोल होता हैं वो केवल छोटी खुशियों के लिए नहीं बना हैं| ज्ञानी आत्माये इस बात को समझ सकते हैं | आज के इंसान चाहते हैं कि पति-पत्नी खुशहाल रहें लेकिन ऐसा कलयुग में नहीं देखा जा रहा हैं |

आज कल के रिश्ते बहुत सिमित हो गए हैं, अगर आप अपने युगल को संतुष्ट नहीं कर पा रहें हैं तो रिश्ते टूट जा रहें हैं | यही अर्थ रह गया हैं आजकल रिश्तो का | तो यह ब्रह्मचर्य ही ऐसा नियम हैं जिसको अपनाकर सभी आत्माये अतीन्द्रियाँ सुख का आनंद ले सकते हैं | तो यह था सकरात्मक पहलु कि हम अपने ब्रह्मचर्य के नियम के दौरान युगल के साथ न देने पर भी पॉजिटिव रहें |

आपको शक्तिवान बनना है, हिम्मत नहीं हारना है | आपने इतना बड़ा कदम उठाया है तो आपको इसमें अडिग रहना हैं | भगवान कहते हैं गीता में कि बच्चे दैहिक दृष्टि ही सभी विकारों का कारन हैं इसलिए अपने को आत्मा समझे और सभी को उसी आत्मिक दृष्टि से देखे तो आप बिलकुल पवित्र बन जायेगे |

दोस्तों यह कहा जाता हैं कि कोई काम आप 21 दिन कर लेते हैं तो वो आपका संस्कार बन जाता हैं | तो हमें सोचना है कि हमें कौन सा संस्कार बनाना हैं | हमें पवित्र रहना हैं तो आप २१ दिन का व्रत करें, भीष्म प्रतिज्ञा व वादा करें अपने आप से कि 21 दिन तक मैं पूरा पुरुषार्थ करुँगा और अपने पुराने संस्कार को योग अग्नि में भष्म कर दूंगा | ऐसा नहीं है कि यह बहुत आसान होगा, इसे कमजोर आंकने कि कोशिस बिलकुल न करें, माया भी कमजोर नहीं हैं | बस अटेंशन रखे और आगे बढ़ते रहे | आपकी आत्मा राजा हैं और सारी कर्मइन्द्रियाँ उसकी प्रजा हैं | राजा जो बोलेगा उसकी आज्ञा का पालन उसकी प्रजा को करना होगा |

एक बात का ख्याल रखें कि कभी कभी ऐसा होता हैं कि हम शाम होते होते बहुत थक जाते हैं, तो क्या करेंगे? उस समय हमें बहुत ज्यादा अटेंशन रखना हैं क्योकि उसी समय माया का अटैक होता हैं | आलस और अलबेलापन ये दोनों बहुत बड़े दुश्मन हैं जिसको बाबा(शिव बाबा) रावण कहते हैं | ये दोनों का अटैक होता हैं जब आत्मा की एनर्जी बहुत डाउन हो जाती हैं और मन थक जाता हैं, शरीर में दर्द का अनुभव होता हैं | अब ऐसी स्थिति में क्या करें कि माया अटैक न कर पाए | ऐसी स्थिति में हमें एकांत में जाकर भगवान की याद(मनमनाभव) की स्थिति में आ जाना हैं और गहन योग की स्थिति(अपने को आत्मा समझ परमपिता परमात्मा की याद) में रहना हैं | हमें तब तक सोना नहीं हैं जबतक हमारी स्थिति ठीक न हो जाये | आप कुछ देर योग करने के बाद खुद ही अतीन्द्रियाँ सुख की अनुभूति करेंगे और आप तरोताजा महसूस करेंगे और फिर आलस और अलबेलापन कहाँ जायेगा पता भी नहीं चलेगा | ये दोनों तुरंत अटैक करते हैं जब आप भगवान से दूर और थका महसूस करते हैं |

मेरे अनुसार, एक काम और करना है कि हमें अपने युगल के साथ शयन(आराम या सोना) नहीं करना हैं | दोनों का बेड अलग अलग होना चाहिए | आपके बच्चो का भी बेड अलग अलग ही होना चाहिए | आपको ऐसी कमजोर स्थिति में कभी नहीं आना है जो आपको कमजोर करते हैं और मानसिक रूप से परेशां करते हैं | मेरा कहने का या मतलब नहीं है कि आप अपनी पत्नी से प्यार ही न करें, नहीं। आपको शुद्ध प्यार करना है, आपके मन, वाणी, दृष्टि, कर्म, सम्बन्ध में रूहानियत होनी चाहिए । अपनी पत्नी को आप अपनी माँ माने, देखिये वो आपकी माँ के जैसी कितनी केयर करती हैं।

क्योकि भगवान कहते हैं अगर आप मानसिक रूप से अशांत हैं तो यह सबसे बड़ी सजा हैं |

आपको बहुत प्यार से अपनी पत्नी या अपने पति को अपने अनुकूल बनाना हैं । अगर आपसे ब्रह्मचर्य के दौरान कोई गलती हो जाती हैं तो आप अपने अंदर कोई गलत फीलिंग नहीं लाये, और ही ज्यादा भगवान को याद करें और उनसे माफ़ी मांग ले । और ही ज्यादा गति से आप ब्रह्मचर्य का पालन करें । भगवान कहते है, मुझे याद करो तो पवित्र बन जायेगे । भगवान के याद में जो सुख होगा वो दुनिया के किसी भी सुख से ज्यादा होगा । एक दिन आपके रूहानियत प्यार की शक्ति जरूर रंग लाएगी । जब भी आप मौका देखे कि आपकी पत्नी की मूड ठीक है, आप उन्हें बड़े प्यार से समझाए कि यह सब पतित कार्य(काम विकार के आसक्ति किया गया कार्य) में कुछ नहीं रखा हैं, इससे ज्यादा सुख भगवान की याद में हैं, वो जरूर समझेगी और आपके आध्यात्मिक मार्ग में सहायक बनेगी । अगर फिर भी आपके साथी नहीं मानते और पतित कार्य में शामिल होना चाहते हैं तो आप आपने लिमिटेशन को देखे और भगवान पर छोड़ दे कि भगवान आप ही देखो । मैं तोह आपके बिना नहीं रह सकता । जिसे भगवान मिल गया हो और वो अतीन्द्रियाँ सुख में जी रहा हो उससे पतित कार्य करना बिलकुल भी नहीं भायेगा ।

भगवान कहते हैं कि एक ही घर में पति हंस बन रहा है, पत्नी नहीं समझती है तो डिफीकल्टी होती है। सहन करना पड़ता है। समझा जाता है इनकी तकदीर में नहीं है।

हमें उस पतित कार्य में इन्वॉल्व नहीं होना हैं। याद रखे इस समय आपकी बुद्धि का ताला खुला हो ताकि आपकी बुद्धि सही निर्णय ले पाए। माया का सबसे अच्छा हथियार है व्यर्थ संकल्प।

आप अपना सवाल पूछ सकते हैं, सवाल पूछने के लिए मुझे ईमेल करें ravikumar.niit8729@gmail.com.

#Scene 2:

Negative Point:ब्रह्मचर्य का पालन करना जब आप शुरू करते हैं तो बहुत सारी ऐसी परिस्थिति आती हैं जो हमारे ब्रह्मचर्य में बाधा बनती हैं | जैसे आप जब शुद्ध और सात्विक आहार लेना प्रारम्भ करते हैं, बहार का खाना-पीना बंद कर देते हैं, चाय व कॉफ़ी पीते थे वो बंद कर देते हैं, लहसुन-प्याज, मांश-मछली-अंडा या कोई तामसिक खाना खाते थे वो बंद कर देते हैं, किसी तरह के व्यसन में लिप्त थे वो बंद कर देते हैं | तो अचानक हुए परिवर्तन में सामने वाले, परिवार वाले समायोजित नहीं हो पाते और हमें बहुत बात सुनाते रहते हैं, गालियां भी पड़ती हैं | हमारे परिवार, समाज, दोस्त सभी हमारे विरुद्ध हो सकते हैं |

Positive Points: जब हम ब्रह्मचर्य का पालन करते हैं और ऐसा शुद्ध और सात्विक आहार लेते हैं तो बाधाएं आना नेचुरल हैं इसमें हमें घबराना नहीं हैं | चूँकि सामने वाले को अभी ब्रह्मचर्य का पूरा ज्ञान न होने के वजह से वो हमारा विरोध करेंगे ही | जैसे आपकी युगल हैं और घर में बहुत परिवार हैं, जहाँ एक साथ ही खाना बनता था जिसमे लहसुन प्याज डाला जाता था लेकिन आपके ब्रह्मचर्य का पालन करने से युगल को परेशानी हो रही हैं और खाना आपका अलग बनाना पड़ रहा है, शायद इसलिए भी वो आपको मना करेगी कि ब्रह्मचर्य को छोड़ दीजिये, लेकिन आपको हार नहीं मानना हैं, यह ब्रह्मचर्य ही सही राश्ता हैं जो हमें भगवान बताते हैं |

आपको अपने युगल को उसके दैनिक कार्य में सहयोग करना हैं ताकि उनको आपके ब्रह्मचर्य के वजह से परेशानी न हो | और अपने पुरे परिवार को और अपने दोस्तों को भी ब्रह्मचर्य से होने वाले फायदे को बताना हैं ताकि वो भी समझ सकें | चूँकि आपको पवित्र रहने का मंत्र मिला, उनको थोड़ी न मिला हैं, उनलोगो को आपको ही मंत्र देना हैं ताकि उनकी ज़िन्दगी भी सुधर सकें और वो लोग भी ब्रह्मचर्य से मिलने वाले अतीन्द्रियाँ सुख, शांति की अनुभूति कर सकें | लोग शांति तो चाहते हैं लेकिन उन्हें पता नहीं होता कि अशांति का कारन क्या हैं? भगवान कहते हैं कि हमारी अशांति का कारन हमारा गलत कर्म हैं और अपवित्रता हैं | जो कि सिर्फ ब्रह्मचर्य का पालन करने से ही हासिल होगा | ब्रह्मचर्य मतलब शुद्ध और सात्विक जीवन |

#Scene 3:

Negative Point: जब कोई कुमार या कुमारी आध्यात्मिक ज्ञान लेकर यह निश्चय करते है कि अब मुझे ब्रह्मचर्य का पालन करना हैं और अपनी ज़िन्दगी को दुसरो के लिए समर्पित करना हैं, तो परिवार, समाज, दोस्तों के तरफ से बाधा आती हैं | तो अपने आप को सकरात्मक कैसे रखे?

Positive Points: दोस्तों, हम जिसको अभी शादी नहीं हुई हैं, जब हम ब्रह्मचर्य का पालन करने का निश्चय करते हैं, तो हमारे परिवार, समाज, दोस्तों आदि से बाधाएं आती हैं और यह पूर्ण रूप से प्रकिर्तिक और स्वाभाविक हैं | क्योकि हमें यह ज्ञान हुआ हैं कि ब्रह्मचर्य का क्या महत्व होता हैं, सामने वाले को तो यह ज्ञान हैं नहीं | फिर कैसे समझायेंगे कि ब्रह्मचर्य क्या हैं और हमें इसका पालन करने से क्या प्राप्ति हो रही हैं |

दोस्तों इस दुनिया में ऐसे बहुत सारे सिद्ध पुरुष(आत्मा) हुए हैं जिन्होंने अपने ब्रह्मचर्य के बल पर बड़े से बड़ा कार्य किया हैं | जैसे हमारे तात्कालिक प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी जी, हमारे पूर्व प्रधानमंत्री स्वर्गीय श्री अटल बिहारी बाजपेयी जी आदि | हमारे देश भारत में हनुमान जी की पूजा की जाती हैं वो भी बाल्य ब्रह्मचारी थे | तो कहने का मतलब हैं दोस्तों जो हम ब्रह्मचर्य का पालन कर रहे है वो सभी इंसानो के बस की बात नहीं हैं, करोड़ो ने कोई ही होते हैं जो इस ब्रह्मचर्य का पालन करते हैं | और इसका अनुभव भी वही समझ सकते हैं जिन्होंने इसका पालन किया हो |

तो हमें अपने परिवार, समाज और दोस्तों आदि को इसके बारे में ज्ञान देना हैं और यूट्यूब में मौजूद विभिन्न साधु-सन्यासियों द्वारा बोले गए प्रवचनों को सुनाना हैं ताकि वो इसके महत्वा को समझ सकें और आपके इस महान कार्य में आपके सहयोगी बन सकें | ब्रह्मचर्य(सेलीबेसी) का पालन वही कर सकता हैं जिसका लक्ष्य बहुत ही ऊँचा हो और उसने यह निश्चय कर लिया हैं कि उसे वो पूरा कर के रहेगा | इस स्थिति में बिना ब्रह्मचर्य उसके लक्ष्य को पूरा करने में काफी सहयोग देता हैं | कुमार-कुमारी हैं और ब्रह्मचर्य का पालन कर रहे हैं तो उन्हें बहुत सावधानिया बरतनी पड़ती हैं जो मैं इस पोस्ट के निचे बताता हूँ |

#Scene 4:

Negative Point:दोस्तों जब हम ब्रह्मचर्य का पालन करने लगते है तो उस चीज़ो के प्रति बहुत कशिश होती है जो हम गलत संस्कार वश किया करते थे, यह कुछ भी हो सकता है जैसे कि ज्यादा सोना, खूब चाय पीना, किसी प्रकार का नशा(तम्बाकू, सिगरेट, शराब आदि) करना, दुसरो पर निर्भर होना, काम विकार, गुस्सा करना, लालच करना, घमंड करना इत्यादि | दोस्तों जब कशिश होती हैं ऐसे पदार्थो के प्रति या ख़राब संस्कारो के प्रति तो हम बेचैन हो उठते हैं और शक्ति नहीं होने के वजह से हमारा ब्रह्मचर्य टूट सकता हैं |

Positive Points : दोस्तों जब ऐसी परिस्थिति आती हैं तो हम बहुत ही ज्यादा बेचैन, नेगेटिव और परेशान हो जाते हैं | मैं एक वीडियो देख रहा था जिसमे ये बताया गया कि अगर हम सही रास्ते पर चलना शुरू करते है तो ख़राब संस्कार हमें अपने तरफ खींचते हैं और यह बिलकुल ही सामान्य बात हैं इसमें परेशान होने की जरुरत नहीं हैं | अगर ऐसा कुछ रिएक्शन हमारे शरीर में हो रहा है तो समझ जाये कि हम सही रास्ते पर हैं | हमें बस कुछ दिन तक बर्दास्त करना हैं और अपने अंदर धैर्य रखना हैं, राजयोग का अभ्यास करना हैं और अपने मन को कही और व्यस्त रखना हैं बस कुछ दिन के बाद आप देखेंगे कि वो ख़राब संस्कार, दुर्गुण पुरे तरह से आप से दूर जा चुके हैं|

#Scene 5:

Negative Point: दोस्तों जब हम ब्रह्मचर्य का पालन करने लगते है तो कुछ दिन तोह बड़े मोटीवेट होकर कर लेते हैं फिर हमारा दिमाग बाहरी दुनिया की ओर जाने लगता हैं जैसे कि सोशल मीडिया साइट्स फेसबुक, व्हाट्सप और हम उनमे अपनी आत्मा में शक्ति कम होने के कारन फिर से फँस जाते हैं और हमारा ब्रह्मचर्य भंग हो जाता हैं | तो हमें क्या करना चाहिए?

पॉजिटिव पॉइंट्स : दोस्तों जब ऐसी परिस्थिति आती हैं तो हम इस परिस्थिति में बहुत ही परेशान हो जाते हैं और नेगेटिव सोचने लगते हैं | दोस्तों यह सब तोह होगा ही, जब हम ख़राब दोस्तों के साथ दोस्ती छोड़ देते हैं और अच्छा संगति में रहने लगते हैं तो उन दोस्तों को जिन्हे हमने छोड़ा हैं उनको तो असहज लगेगा न | तो क्या करे?

कुछ लोग कहते हैं हमारा ब्रह्मचर्य २-४ दिन ठीक रहता हैं फिर टूट जाता हैं तो ऐसा क्यों होता हैं? ऐसे इसलिए होता हैं कि हमारे अंदर एक तो शक्ति कम हैं और हम बाहरी दुनिया के आकर्षण में आ जाते हैं | बाहरी दुनिया के आकर्षण में आने से हमारा ब्रह्मचर्य टूट सकता हैं | गीता में भगवान ने कहा हैं कि मन को वश में करने के किये उस पर २ तलवार से प्रहार करना पड़ता हैं एक अभ्यास और दूसरी वैराग्य | बिना वैराग्य के ब्रह्मचर्य संभव नहीं हैं | मन बार बार ख़राब संस्कारो के तरफ जायेगा और हमें बार बार उसे कण्ट्रोल करना होगा तब एक दिन वो समझ जायेगा और उस घोड़े के जैसा वो भी वश हो जायेगा और फिर वो हमेशा हमारा साथ देगा | तो हमें निर्णय करना हैं कि हमें सोशल मीडिया में क्या देखना है ओर क्या नहीं? यह हमारा बुद्धि अगर मजबूत होगा तो आसानी से निर्णय कर लेगा | यह सोशल मीडिया, व्हाट्सप, इंटरनेट, यूट्यूब, टीवी बहुत बड़ा बाधा बनते हैं हमारे ब्रह्मचर्य में | इनसे वैराग्य जरुरी हैं | अगर बहुत जरुरी पड़े तो हमें इसका इस्तेमाल इसका गुलाम बनकर नहीं इसके मालिक बनकर करना हैं | कहने का मतलब हैं कि हमें इन नशों से दूर रहना हैं ओर जितना जरुरी हो उतना कर सकते हैं |

#Scene 6:

Negative Point: प्यारे भाइयों और बहनों, जब हमें(कुमार-कुमारी) वो मिल जाता हैं जो हम खोज रहे थे इतने सालो से, तब हमें पूरा विश्वास हो जाता हैं और हम पूरा निश्चय कर लेते हैं उसे पाने का | मैं बात कर रहा हूँ कि हमें जब ज्ञान मिल जाता हैं और हम ब्रह्मचर्य का पालन करने का दृढ निश्चय कर लेते हैं तो हमारे परिवारों और समाज के तरफ से काफी बाधा आती हैं | परिवार वाले भी अपने जगह २००% सही होतें हैं | वो चाहते हैं कि मेरे बच्चे बड़े हो गए हैं उनकी शादी करके वो निश्चिन्त हो जाना चाहते हैं |

Positive Points :लेकिन अगर आप आपने वास्तविक लक्ष्य को अपने परिवार को बताते हैं तो परिवार वाले जरूर ही साथ देते हैं | हमें उनको बताना होता हैं | लेकिन आजकल होता ये हैं कि बच्चे अपने परिवार से बात छुपाते हैं | वो हमारा परिवार हैं हम उनको नहीं बतायेगे तो किसको बतायेगे | हमें अपने ब्रह्मचर्य के बारे में भी उनको खुलकर बताना हैं और समझाना हैं वो हमारा साथ जरूर देंगे |

बचपन में जब हम कुछ खिलौना के लिए ज़िद किया करते थे तो वो एक न एक दिन हमारी बात जरूर मानते थे | मम्मी-पापा अपने बच्चों की नहीं सुनेगे तो किसकी सुनेगे | हमें अपने माँ-बाप का पूरा आदर करना हैं | किसी भी परिस्थिति में आप ब्रह्मचर्य का धारण कर रहे हैं और एक तरफ माँ-बाप का निरादर कर रहे हैं तो ये मुमकिन नहीं हैं | ब्रह्मचर्य का मतलब हैं सबका आदर और सत्कार | किसी का दिल दुखाना मकसद नहीं |

एक भाई को मैं जनता हूँ जो ब्रह्मचर्य का पालन करने का निश्चय किया और माँ-बाप उनकी शादी कराना चाहते थे लेकिन उस भाई का लक्ष्य बहुत ही ऊँचा था और वो भाई की योग की ताकत और चेहरे के ओज ने एक दिन उनके माता-पिता का ह्रदय पिघला दिया और उन्हें ये समझ आ गया कि मेरा बच्चा कुछ बड़ा कर रहा है जो बड़े बड़े साधु-सन्यासी करते हैं | जो हम ब्रह्मचर्य का पालन कर रहे है, यह कोटो में कोई और कोई में भी कोई ऐसा करते हैं और पवित्र रहते हैं| यह कोई आसान काम नहीं हैं जो सब कर सके | हीरा तो हीरा होता है न | तो जरा सोचिये इसके फायदे क्या होते होंगे | ऊपर मैंने लिंक दिया हैं why ब्रह्मचर्य?

तो दोस्तों आप भी अपने पवित्रता के ओज और योग की ताकत को बनाये रखे और अपने घरों में सकरात्मक ऊर्जा का संचार करें| परिवर्तन जरूर होगा | आप नेगेटिव न सोचे और हमेशा भगवान पर निश्चय रखें | जीत हमेशा सत्य की होती हैं | सत्यम-शिवम्-सुंदरम |

#Scene 7:

Negative Point: ब्रह्मचर्य का पालन करने के दौरान कभी कभी ऐसा लगता है जैसे कि हम परवश हो गए है, किसके? गीता में भगवान ने कहा कि माया(काम, क्रोध, लोभ, मोह, अहंकार) बहुत परेशान करेगी | मन को बहुत भटकाएगी | ब्रह्मचर्य के दौरान हम आत्माओं को भी माया से युद्ध करना पड़ता हैं और हम इन विकारो से हार जाते हैं | क्या करें कि हम मायाजीत बन जाये और हमारे पुराने संस्कार हमें परेशान न करें |

Positive Points: जब हम ब्रह्मचर्य का पालन करते हैं तो हमारे कुछ पुराने संस्कार होते हैं जो हमें भगवान की याद में बैठने नहीं देते हैं | गीता में भगवान ने कहा हैं, मनमनाभव | अपने को आत्मा समझकर मुझे याद करो तो तुम मायाजीत बन जायेगे | याद से ही पवित्र बनेंगे | पवित्रता ही सबसे बड़ा धर्म हैं क्योकि पवित्रता, सुख, शांति, प्रेम, आनंद की जननी(मां) हैं, अगर हम इस गुण को धारण कर ले तो बाकि बाल-बच्चे मां के पीछे पीछे चले आएंगे |

अब सवाल उठता है कि हम गीता में पढ़े है कि मनमनाभव, लेकिन हम फिर भी माया के वश हो जाते हैं | ऐसे क्यों होता हैं ? ऐसे मेरे अनुभव से तब होता हैं जब हम आलस और अलबेलापन के वश हो जाते हैं | जैसे हम तो बहुत अच्छे से पुरुषार्थ तो कर रहे थे लेकिन कभी हमें कही काम से जाना पड़ गया और हमारा पूरा दैनिक दिनचर्या ही बिगड़ गया,न ही हम योग कर पाए और न ही पूरा ज्ञान पढ़ पाए और न ही ज्ञान का मनन कर पाए | केवल सेवा ही सेवा में व्यस्त हो गए, तो दिनचर्या भंग होने से सबसे पहले तो आलस आता है फिर अलबेलापन | और आलस व अलबेलापन के आने से आपका ब्रह्मचर्य भंग हो सकता हैं | तो ऐसा क्यों हुआ?

हम सेवा में इतना व्यस्त हो जाते हैं कि भगवान को याद करना ही भूल जाते हैं और अपने आप को(आत्मा) को भूल जाते हैं | देहाभिमान में आकर सेवा करते हैं | नाम मान शान कि चाहत रखते हैं | तो हमें सेवा, निमित समझ कर करना हैं | करनकरावनहार, कराने वाला करा रहा हैं | हम तो सिर्फ निमित हैं | और अपने को आत्मा समझ कर हमेशा भगवान की यादमें रहे | गीता में भगवान ने कहा हैं कि बच्चे मनमनाभव, चलते, फिरते, उठते, बैठे अपने को आत्मा समझ एक परमपिता की याद में रहें |

हमें सेवा में थकावट नहीं आना चाहिए, अगर हम भगवान का दिया हुआ सेवा समझ कर करेंगे तो कभी थकावट महसूस नहीं करेंगे | ज्यादा थकने से आलस और अलबेलापन आता हैं | इसलिए हमें सेवा के दौरान हर घंटे में ३ मिनट का ब्रेक लेना हैं और राजयोग का अभ्यास करना हैं, जिससे मन शांत होगा और व्यर्थ संकल्प समाप्त हो जाते हैं | इंसान थकता तब है जब व्यर्थ संकल्प चलता हैं | ऐसे पुरुषार्थ करेंगे तो हम मायाजीत बनते जायेगे और हमारे पुराने संस्कार समाप्त हो जायेगे | बच्चे अपने पुराने संस्कार से बहुत परेशान हो जाते हैं, लेकिन उन्हें परेशान होने की जरुरत नहीं हैं, उनसे बड़े प्यार से निपटना हैं | बाबा के याद से ही सारे पुराने संस्कार समाप्त हो जायेगे और सेवा में सहयोगी होंगे |

#Scene 8:

Negative Point: जब हम ब्रह्मचर्य का पालन करने लगते है तो माया(मोह, खान-पान, आँखे, कान) कुछ ज्यादा ही परेशान करती हैं और हमारे दृढ निश्चय को हिलाने आ जाती हैं ? ब्रह्मचर्य के पालन के शुरू शुरू में ऐसा होता हैं कि मन बार बार वासना में तो कभी कामना में चला जाता हैं और वो आत्मा परेशान हो जाती हैं कि यह क्या हो रहा हैं और बहुत ही ज्यादा व्यर्थ चलने लगता हैं मन में, क्या करे?

Positive Points: जब कोई आत्मा ब्रह्मचर्य का पालन करना शुरू करती हैं तो शुरू-शुरू में व्यर्थ चिंतन बहुत चलता हैं क्योकि वो आत्मा अपने ही मन में छुपे पॉजिटिव एंड नेगेटिव थिंकिंग की लड़ाई में फँस जाती हैं? इसी कारन से मन परेशान हो जाता हैं कि क्या करे और क्या न करे?

एक तरफ आप पढ़ते हैं कि अपने को आत्मा समझ परमात्मा को याद करो और मनसा, वाचा, कर्मणा पूरी तरह पवित्र रहे | लेकिन पुराने संस्कार वश मन में व्यर्थ थिंकिंग अर्थात किसी दूसरी आत्मा में आकर्षण, खान-पान में आकर्षण इत्यादि | इसे छूटने के लिए आपको योग के बल को बढ़ाना हैं और खूब अभ्यास करना हैं कि मैं एक चैतन्य आत्मा हूँ और मेरा तो एक परमपिता परमात्मा है बाकि सब मोह-माया हैं | हमेशा आत्मिक दृष्टि में रहना हैं | सबको आत्मा ही देखना हैं | अभ्यास को बढ़ा देना हैं | लोग क्या करते हैं कि नकरात्मक होकर ब्रह्मचर्य को ही छोड़ देते हैं | हिम्मत नहीं हारना हैं | पुराने संस्कार इतने जल्दी नहीं जाते | अभ्यास जारी रखे | रोज गीता ज्ञान या अपने धर्म पुस्तक और रोज योग का अभ्यास करे | करत करत अभ्यास के जड़मति होत सुजान | अभ्यास से क्या नहीं हो सकता हैं | तो नेगेटिव होने की दरकार नहीं हैं |

ब्रह्मचर्य के दौरान माया बहुत जी ज्यादा परेशान करने के लिए तैयार रहती हैं, वो चेक करती रहती हैं कि इस आत्मा की कौन ही कमजोरी(कमजोर संस्कार) रूपी खिड़की खुली हैं वो वही से घुसने की कोसिस करती हैं| यहाँ अटेंशन रूपी गार्ड अप्पोइंट कर दे, भगवान ने एक बार मुरली में कहा कि अटेंशन रूपी गार्ड को लगा दो ड्यूटी पर जो लगातार चेक करता रहे कि कौन सी माया आयी हैं गेट पर |

भगवान कहते है कि बच्चे अच्छे अच्छे महारथियों को भी माया नहीं छोड़ती हैं इसलिए कभी भी इसे हल्का में नहीं ले, आलस और अलबेलापन ये है दो लक्षण | कोई १० साल से ब्रह्मचर्य को फॉलो कर रहा हो, लेकिन परिथितियों के आते ही उसके पुराने संस्कार इमर्ज हो जाते हैं | यानि अभी भी पुराने संस्कार का अंश बचा हुआ है| भगवान कहते हैं कि अंश होगा तोह वंश पैदा कर देगा | इसलिए अंश भी मत रखो | आप रोज ब्रह्मा कुमारीज में दैनिक मुरली का अध्यन करेंगे तो इससे सभी आत्माये सम्पूर्ण पवित्र(मनसा, वाचा, कर्मणा) हो जायेगे | ब्रह्मा बाबा ने करके दिखाया और हमें उनको फॉलो करके उस परम लक्ष्य तक पहुंचना हैं |

Caution for Unmarried while Practicing the Celibacy

कुमार-कुमारी हैं और ब्रह्मचर्य का पालन कर रहे हैं तो उन्हें मेरे अनुभव से बहुत सावधानियां बरतनी पड़ती हैं जो निम्नलिखित हैं:

  1. सुबह सुबह 3.30 am में उठना और मैडिटेशन करना, ज्ञान पढ़ना और मनन करना | सुबह सुबह शारीरिक व्यायाम करना | सबसे पहले आत्मा को फिट बनाना फिर शरीर के लिए व्यायाम | आत्मा फिट तो शरीर फिट | आत्मा को तो फिट रखना ही पड़ेगा, आत्मा स्वस्थ रहेगी तो शरीर स्वस्थ रहेगा | ब्रह्मचर्य के पालन में हमेशा पॉजिटिव रहना बहुत ही जरुरी हैं | अगर हम आत्मिक स्थिति में नहीं रहते हैं तो माया की प्रवेशता हो सकती हैं | यह बहुत ही बड़ा नियम हैं जिसमे हमें अपने दिमाग को हमेशा भगवान में ही लगाना होता हैं | कोई भी कर्म करते हमेशा भगवान की याद में रहना हैं | उसके लिए हमें रोज आधात्मिक किताबें पढ़ते रहना हैं और अपने ज्ञान को बढ़ाते रहना हैं तभी हम इस ब्रह्मचर्य के नियम में टिक सकते हैं | क्योकि भगवान ने गीता में कहा हैं कि यह दुनिया मोह-माया हैं इसमें अगर ध्यान रखेंगे तो यह ब्रह्मचर्य का नियम भंग हो सकता हैं | इसलिए हमारे ब्रह्मा कुमारीज संसथान में रोज १ घंटा मुरली(गीता ज्ञान) और राजयोग का अभ्यास कराया जाता हैं जिसके लिए हमें रोज सेंटर जाकर इसका अभ्यास करना हैं | ताकि हम पवित्रता का नियम का पालन पूर्ण रूप से कर सके | घर-गृहस्थ में रहते हुए हमें कमल फूल सामान पवित्र और न्यारा और प्रभु प्यारा रहना हैं | जैसा संगत वैसा रंगत | जैसी पानी वैसी वाणी | ब्रह्मा कुमारीज के बारे में ज्यादा जानने के लिए इसके ऑफिसियल वेबसाइट पर जाये | मैं सोचा करता था कि क्या मुझे ब्रह्मचर्य का पालन करने के लिए घर-बार छोड़ना पड़ेगा, सन्यास लेना पड़ेगा | लेकिन जब मैंने ब्रह्माकुमारीज संसथान से ज्ञान लेना प्रारम्भ किया तब मुझे पता चला कि नहीं, सन्यास लेने की दरकार नहीं पड़ेगी, मैं घर-गृहस्थ में रहते हुए पवित्र रहना हैं | इस संसथान में यह अभ्यास कराया जाता हैं राजयोग द्वारा | ये बहुत ही आसान लगा मुझे और आसानी से मैं ब्रह्मचर्य का नियम पालन कर पा रहा हूँ |
  2. उन्हें खाना-पीना बहुत ही शुद्ध रखना हैं | हमें कोई जंक फ़ूड नहीं खाना हैं | परमात्मा की याद में बना खाना ही खाना हैं, कोई भी खाना खाने या पानी पिने से पहले हमें भगवान को याद करना हैं | (सकरात्मक ऊर्जा का संचार) | हमें बाहर का खाना नहीं खाना हैं | ज्यादा से ज्यादा फाइबर युक्त भोजन लेना हैं जैसे सलाद, फल आदि | ब्रह्मचर्य का दुश्मन हैं लहसुन-प्याज़, मछली, अंडा, मांस आदि | सूक्ष्म से सूक्ष्म जांच करना हैं कि हमें ये भोजन खाना हैं कि नहीं | जैसे हम चॉय का सेवन करते हैं वो भी नहीं करना हैं | हमें कम से कम खाना हैं, जितना भूख हो उससे २०% कम खाना हैं | सूर्यास्त के बाद कुछ खाना ही नहीं हैं | खाना खाने के बाद टहलना जरूर हैं | अगर कंप्यूटर पर काम करते हैं तो हर एक घंटे के बाद टहलना जरुरी हैं | पानी ज्यादा से ज्यादा पीना हैं | आधे से ज्यादा बीमारी पानी के कमी के कारण होती हैं | कही बाहर जाना होता हैं नौकरी या बिज़नेस के वजह से तो हमें अपना ध्यान रखना हैं और शुद्ध पानी या भोजन ही लेना हैं |
  3. कंप्यूटर पर काम करते हैं तो आपको बहुत ज्यादा सावधानियां बरतनी चाहिए, जैसे कि अगर कोई वेबसाइट की जरुरत हो तभी खोले अन्यथा उसे खोले ही नहीं | जैसे हम कंप्यूटर पर बैठते हैं या मोबाइल चलाते हैं तो अपना समय सोशल मीडिया वेब साइट्स पर व्यर्थ गवातें हैं | जिससे हमारा समय बर्बाद होता हैं और हमारे काम में जो उत्पादकता होनी चाहिए वो नहीं हो पाता हैं और जिसके कारण फिर मानसिक रूप से परेशान हो सकते हैं |
  4. ब्रह्मचर्य का पालन करना कोई आसान काम नहीं हैं इसलिए इसे हलके में न लें और सूक्ष्म से सूक्ष्म आलश्य और अलबेलापन से हमें दूर रहना हैं | अपने आप को हमेशा सेवा में बिजी रखना हैं | सेवा मतलब वो हर कर्म जो भगवान के श्रीमत अनुसार हो | हमें अपने हर कर्म को श्रीमत अनुसार ही करना हैं चाहे कुछ भी हो जाये | जब हम भगवान की याद में कर्म करते हैं तो हमसे कोई पाप कर्म नहीं होता हैं और हम इस तरह पाप से बच जाते हैं | कमल कीचड़ में रहते हुए उससे न्यारा रहता हैं उसी प्रकार एक ब्रह्मचर्य के पालन करने वाली आत्मा को घर गृहस्थ में रहते हुए उससे न्यारा रहना हैं | ब्रह्माकुमारीज संसथान में ये बताया गया है कि घर में रहते हुए हमेशा आत्मिक स्थिति में स्थित रहना हैं और सबको आत्मा ही देखना हैं ताकि हम शरीर से डिटैच हो सके | भगवान ने गीता में ये बातें कहीं कि हमें आत्मिक स्थिति में रहने का अभ्यास करना चाहिए | अगर आत्मा को देखेंगे तो हम सतोगुणी आत्मा के गुणों को देखेंगे और यदि हम एक दूसरे को शरीर देखेंगे जो मिटटी का बना पुतला मात्रा हैं तो शरीर के ही बारें में सोचेंगे | एक ब्रह्मचर्य का पालन करने वालों का मन हमेशा ब्रह्म(परमधाम), भगवान के बारें में ही सोचता हैं | इसलिए उससे मनसा, वाचा, कर्मणा कोई पाप कर्म नहीं होते और वो आत्मा न्यारी और सबकी प्यारी होती हैं | पवित्र आत्माओ की ही पूजा होती हैं |
  5. ब्रह्मचर्य के पालन करने वालों को हमेशा अपनी पवित्रता बनायीं रखनी हैं, ऐसा कोई कर्म नहीं करना हैं जिससे अपनी पवित्रता भंग हो जाये | एक सच्चा ब्राह्मण कभी भी बुरी संगत में प्रभावित नहीं हो सकता हैं | हाँ एक सच्चा ब्राह्मण का संग दुसरो को जरूर प्रभावित करता हैं, क्यों? क्योंकिं उसकी पवित्रता का बल होता हैं | पवित्रता मतलब मनसा, वाचा, कर्मणा, सोच(संकल्प) और सम्बन्ध संपर्क में भी एक सच्चा ब्राह्मण पवित्र सोचे, पवित्र बोले, पवित्र करें, पवित्रता देखें, पवित्रता के साथ अपना सब सम्बन्ध निभाएं | उसके संकल्प भी भगवान को समर्पित हो | संकल्प में भी अपवित्रता न आये | किसी तरह के बुरे विकारों में न फसें | किसी के संग का रंग न लगे | एक सच्चा ब्राह्मण को पूरी तरह सावधान रहना हैं ठीक उसी प्रकार जिस प्रकार सीमा पर एक जवान चौकन्ना रहता हैं | पवित्रता कोई छोटा मोटा गुण नहीं हैं इसके पूरा अनुशाशन चाहिए नहीं तो माया(काम, क्रोध, लोभ, मोह, अहंकार) आयी की आयी | माया बहुत ही सूक्ष्म से सूक्ष्म तरीके से आ जाती हैं इसलिए हमेशा एक जवान के भाति चौकन्ना रहना हैं और प्रभु की याद में हर समय रहना हैं | गीता में लिखा हैं मनमनाभव – अपने को आत्मा समझ मुझ परमात्मा को याद करों तो तुम्हारे जनम जनम के पाप भस्म हो जायेगे | दैहिक दृष्टि ही सभी विकारों का कारन हैं | इसलिए हमेशा आत्मिक दृष्टि में रहना हैं | भगवान कहते हैं कि हमेशा आत्मिक दृष्टि का अभ्यास करते रहना हैं | ब्रह्मा बाबा भी यह अभ्यास करते रहते थे |

BK Kana Gopal – Singapore, Writes about Celibacy

Brahmacharya is about purity of mind, heart, soul and body.

It is to access the purest nature or divine nature in ourselves and being complete in the Self.

As such we do not yearn 4 another person to complete us. Instead we are able to enter into inter-dependent relationships where we play our part with truth, love, wisdom and values.

In this state we are naturally positive and in a giving state of being. We can give of our virtues and inner powers , skills, talents, assets and not feel they should be returned.

We can use all the inner powers and virtues accurately and achieve success in all tasks, endeavours and relationships.

So true celibacy is being more than being free of engaging in *sex. It is to be free of attachment to another. We do not require another one to complete us. We are free to be in relationships without being trapped in them. We are clear in our intellects and neutral in our minds to make accurate decisions.

How to be positive?

Know Brahmacharya or celibacy benefits, have a good routine which involves rising at Brahma Muhurtham or earlier to connect to the bodiless Paramatma or meditate or pray. Making the heart, mind soul pure n powerful before start of the day gives the Self spiritual power 4 the whole day.

Practicing Brahmacharya

Then check the stage, read or listen to something pure, positive and spiritually powerful after the meditation or prayer. Put good content into the mind.

Then plan the day and carry through while aware of yourself as a pure, spiritually powerful and sevadhari. Enjoy what you for have to do. Elevate it by seeing it as seva(Service) for God. Also see others as spiritual brothers or sisters, an extended family.

Do not see anything negative in a personal way. Know it is drama and find answers.

Be assertive or face the situation when needed and accommodate when required. Having a clear intellect n neutral mind will be a guide to u.

End the day reviewing the day n let go to the higher source. Learn from mistakes and find solutions. Forgive yourself. Don’t repeat mistakes or give excuses. Be merciful and loving to your Self 1st knowing u r a precious one. That God and many others love you. That u and your pure energies help your Self and many others.

There are many more negative factors by which you can fall in the way of celibacy or Brahmacharya life. You have to take more attention in this life so that you could run not even walk. You can understand these negative factors by your daily experiences. You can read books on celibacy or Brahmacharya. Here is a Youtube playlist of 25 videos on Brahmacharya. It will boost your celibacy life.

A Wonderful GOD’s Spiritual Knowledge in this Youtube playlist

What Should We Eat in Celibacy?

The Food which is natural not made by human, we should eat such food in celibacy. Listen This Class by Dr. BK Sachin:

आप अपना सवाल पूछ सकते हैं, सवाल पूछने के लिए मुझे ईमेल करें ravikumar.niit8729@gmail.com

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