Nashe Se Mukti – Free From Addiction
हमारी सोच पर निर्भर है जीवन
जीवन का मूल्य क्या हैं?
सन्देश – हमें सदा अपने जीवन को गुणवान. संस्कारित और मूल्यनिष्ठ बनाने पर जोर देना चाहिए |
आज हम जो हैं, जैसे हैं और जिस स्थिति में हैं उसके पीछे हमारी सोच का महत्वपूर्ण योगदान हैं | सदा प्रयास करते रहें कि हमारी सोच का दायरा नित बढ़ता रहे | मन में सकरात्मक और श्रेष्ठ विचार हों | जिसके जितने अच्छे विचार होते हैं, उनका जीवन उतना ही महान, बहुमूल्य और प्रेरक होता हैं |
जैसी हमारी सोच वैसी ही हमारी दुनिया
सकारात्मक विचारों से तंबाकू का छुटकारा
Nashe Se Mukti – Free From Addiction
हमारे विचार जितने सकारात्मक शुद्ध होते हैं उसी प्रतिशत में संपूर्ण प्रकृति में परिवर्तन दिखाई देते हैं। जब हम कुछ सोचते है तो उसमे से वाइब्रेशन प्रकृति में फैलते हैं और प्रकृति हमें वही विचार वापस करती हैं और हम वैसा बन जाते हैं | कहा जाता हैं कि जैसा सोचेंगे वैसा बनेगे |
चारों और नकारात्मक वातावरण के कारण व्यक्ति का मन कमजोर, डर, भय, चिंता और निराशा से भरने लग गया है। और इंसान इन विकारों के वश पाप कर्म कर देता हैं | इसका निदान विभिन्न तरह के नशा करके अपने संतुष्टता की पूर्ति करता है। इंसान सोचता हैं कि हमें इन विकारो से नशा ही बचा सकता हैं | आरम्भ में तो अच्छी लगती है लेकिन इसके दूरगामी परिणाम इतने खतरनाक होते हैं कि व्यक्ति, परिवार, धन सभी नष्ट हो जाते हैं। पूरा घर-संसार ही बर्बाद हो जाता हैं और डॉक्टर भी अंत में जवाब दे देता हैं |
आज गुटखा, तंबाकू ,गांजा, शराब का सेवन करने वालों की संख्या इससे मरने वालों का आंकड़ा सर्वाधिक होता जा रहा है । और लोग दिन पर दिन यह बढ़ता ही जा रहा हैं | WHO ने भी हमें आगाह कर दिया हैं कि नशे से बचे | आज पुरे संसार में नासा मुक्ति केंद्र तेजी से खुलते जा रहे हैं | इससे बच्चे भी अछूते नहीं हैं अब | बच्चो में भी तेजी से डिप्रेशन के मामले बढ़ रहे है | बच्चे भी किसी न किसी नशे के आदि हो रहे है चाहते वो कोई ऑनलाइन गेम ही क्यों न हो | वैसे बच्चो के लिए भी दुनिया में नशा मुक्ति केंद्र खुल रहे है | आज हर घर में बच्चो के पेरेंट्स चिंतित हैं कि मेरा बच्चा दिन भर मोबाइल में ही व्यस्त रहता है और कही न आना न जाना, न ही कोई आउटडोर गेम्स खेलना, पढाई में भी उसका मन नहीं हैं | हम बहुत परेशान हो चुके हैं क्या करें?
हम बात कर रहे हैं नशे से मुक्ति के बारें में, तंबाकू एक ऐसा टाइम बम है जो बिना पूर्व सूचना के फट जाता है ।आज हर व्यक्ति पारिवारिक, मानसिक कारणों व कार्य में असफलता ,शीघ्र प्राप्ति की चाहना, बार-बार गलत कार्य करने की इच्छा आदि कारणों से तंबाकू का सेवन करने लगता है। लाइफ में तोह सुख-दुःख हैं ही, लेकिन हम इन् नशो के आदि क्यों बने? जिससे अनेक घातक बीमारिया ,कैंसर, नसों में सिकुड़न, आंखों की पुतली का बड़ा हो जाना, फेफड़े के रोग आदि होने लगते हैं। और इंसान बहुत ही कमजोर हो जाता हैं, कुछ खाने-पिने की इच्छा नहीं रह जाती |
लोग नशे से मुक्ति का दवा भी खाते हैं लेकिन नशा नहीं छूटता | यह तो एक मन की बीमारी हैं | जब तक हम अध्यात्म की मदद नहीं ले तब तक यह नहीं छूट सकता हैं | क्योकि मन की बीमारी को ख़तम करने का उपाय हमारे पवित्र ग्रंथो में लिखा हैं | एक भगवान की याद और उनका साथ से ही हम मन की बीमारी से छूट सकते हैं |
तंबाकू, सिगरेट, गुटखा, खैनी ऐसा धीमा जहर है जो सारे शरीर के अंगों को क्षत-विक्षत कर देता है, और हमें रोगी बना देता हैं । प्रति सिगरेट पीने से जीवन 6 मिनट कम हो जाती है। दुनिया में मौत के आंकड़ों में सर्वाधिक इस रोग से मरने वालों का ज्यादा है ।
अगर हम अपने लाइफ स्टाइल को चेंज करें और दृढ़ संकल्प, इच्छाशक्ति प्राणायाम, योग, शाकाहारी भोजन, व्यायाम आदि को अपने ज़िन्दगी में अपनाएं तो नशे से छुटकारा पाया जा सकता है। तंबाकू को गधा भी नहीं खाता है लेकिन आज का इंसान गधे से भी बदतर हो गया है कि वह इसका प्रयोग कर रहा है। यह सुनकर थोड़ा अजीब लगता हैं लेकिन बात में सच्चाई हैं कि आज का इंसान जो नहीं करने का वो कर दे रहा हैं | लोग बोलते हैं कि भगवान ने हमें जानवरों वाली दाँत नहीं दी फिर भी इंसान वो सब मांस-मछली खाता हैं जो जानवर खाते हैं | बहुत सारे जानवर ऐसे हैं जो वेजीटेरियन हैं जैसे कि हाथी, जिराफ, गाय इत्यादि | लेकिन आज का इंसान क्या क्या खा लेता हैं उसे भी नहीं पता |
ब्रह्माकुमारी संस्था विगत 84 वर्षों से विभिन्न राज्य सरकारों के साथ मिलकर नशा मुक्ति का कार्य कर रहा है । संस्थान के 14 लाख से अधिक लोग पवित्र व ब्रह्मचर्य जीवन जी रहे हैं। कई राज्यों में राज्य सरकारों के साथ मिलकर यह संसथान नशा मुक्ति कार्यक्रम चला रही हैं | ब्रह्माकुमारी में आकर बहुत लोगो ने नशा को छोड़ा हैं और अपने ज़िन्दगी को बचाया हैं | उनके परिवारों में सुख-शांति आयी |
नशा का कारण हमारे नकारात्मक गलत आसुरी विचार हैं, जो हमें गलत मार्ग भी ले जाता हैं और भटकाते रहता हैं | लोग गलत संगत में आकर नशा करने लग पड़ते हैं | मेडिटेशन से हमारे अंदर शक्ति आती है। यह मानव जीवन अनमोल है इस नशे से नाश न करें। नशा खुद के साथ परिवार, समाज सभी के लिए दुखदाई होता है। नशा एक आदत नहीं, यह एक गंभीर मन की बीमारी हैं जो पुरे समाज के साथ देश को भी बर्बाद करता हैं | अतः नशा को आज ही छोड़े और अपनी जान बचाये |
संकल्प
आज से हम तंबाकू बीड़ी सिगरेट का सेवन नहीं करेंगे ।
Interview With An Addicted Person
दोस्तों एक नशा करने वाले व्यक्ति से हमने बात की तो उसने जो अनुभव साझा किया वो मैं यहाँ आपके साथ साझा कर रहा हूँ |
प्रश्न : आपने पहली बार शराब कब पिया था?
उत्तर: 30 साल पहले जब मैं छोटा था तो देखा करता था कि मेरे पापा शराब की बोतल घर में रखा करते थे और रोज पिया करते थे | मैं सोचता था कि यह कौन सा पेय पदार्थ है जो मेरे पापा पीते हैं | मैंने सोचा की मुझे भी इससे चखना चाहिए कि कैसा लगता हैं पीने में, और मैंने एक दिन उनको शराब की बोतल से थोड़ा निकाल कर एक कप में रख लिया और उसमे थोड़ा पानी मिला कर पी गया |
दोस्तों हम ब्रह्मा कुमारीज के नशा मुक्ति कार्यक्रम के माध्यम से बच्चो को जागृत करते हैं कि नशा क्या चीज़ होती हैं और इससे पीने से क्या-क्या हानि होती हैं | इसमें कौन कौन से खतरनाक केमिकल्स होते हैं जो हमारे शरीर के लिए नुकसानदेह हैं | बच्चो को यह पता नहीं होता हैं और जब वो देखते हैं दुसरो को नशा करते हुए तोह उनको भी मन में संकल्प चलना आरम्भ हो जाता हैं कि यह क्या चीज़ हैं और जब वो ख़राब संगत में आते हैं तोह अपने आप को रोक नहीं पाते और इस तरह आरम्भ होता हैं नशे की लत का | तोह हमें अपने बच्चो को बाकि ज्ञान की तरह इसका ज्ञान भी देना चाहिए ताकि ये इनसे बच सके |
प्रश्न: आपने कब फिर शराब पीना शुरू किया?
उत्तर: मैं बचपन में अपने पापा के शराब की बोतल से पीने के बाद कभी कभी पी लेता था जैसे होली में | उसमे बाद में जब मैं चाय दुकान चलाया करता था तो वहां दुकान पर कुछ लोग आया करते थे और मुझे पैसा देकर शराब खरीद कर लाने बोलते थे | मैं छोटा था | मैं पैसा लेकर शराब ला देता था | वो एक बोतल पीने के बाद फिर मेरे से एक और बोतल लाने कहते थे | मैं एक और बोतल ला देता था, लेकिन दूसरे बोतल से वो लोग पूरा नहीं पीते थे, कहते थे कि पूरा पी लेंगे तो घर नहीं जा पाएंगे | तो वो कुछ शराब बोतल में ही छोड़ देते थे और कहते थे मुझसे कि खांसी हुआ है न, इस शराब को पी ले ठीक हो जाएगा | और मैं उससे पी लेता था और मेरी खांसी ठीक भी हो जाती थी | इस तरह मुझे शराब की लत लग गयी और मैंने पीना आरम्भ कर दिया था | अब मैं अपने पैसे से पीने लग गया हूँ | मैं अब ऑटो चलाता हूँ और दिनभर थक जाता हूँ तो रात में शराब लेता हूँ ताकि मेरी थकावट दूर हो सके | पत्नी मना करती है तो कहता हूँ कि मई तुमसे तो नहीं कहता हूँ न कि मेरा शरीर दर्द करता हैं थकने के बाद | इसलिए मैं शराब, खैनी, गुटखा खा-पीकर थकावट दूर करता हूँ | पत्नी भी मान जाती हैं |
दोस्तों, हम सोचते हैं कि थकावट दूर करने के लिए शराब पीना चाहिए | यह अज्ञानता हैं | कोई जरुरी नहीं कि हम शराब पिए अपने थकावट दूर करने के लिए | बहुत सारे तरीके हैं जो हमारी थकावट दूर कर सकते हैं | शराब में बहुत खतरनाक केमिकल्स होते हैं जो हमें कुछ पल के लिए अच्छा अनुभव कराते हैं लेकिन जब इसका नशा टूट जाता हैं तो फिर हम अपने वही स्थिति में आ जाते हैं और धीरे धीरे हमारे शरीर के सभी अंग बीमार होते जाते हैं और एक दिन डॉक्टर भी जवाब दे देता हैं |
प्रश्न : भैया, हमलोग बहुत नशा करते हैं, पैसा भी बर्बाद होता हैं, क्या करें? नशा छोड़ना चाहते हैं लेकिन छोड़ नहीं पा रहे हैं | सोचते हैं आज से नहीं खायेगे लेकिन खा लेते हैं | क्या करें?
उत्तर: आपने बहुत ही अच्छा सवाल किया हैं कि नशा छोड़ना तो चाहते हैं लेकिन छोड़ नहीं पा रहे | बहुत सारे लोग हैं जो नशे के कारण परेशान हैं और नशा छोड़ नहीं पाते हैं | सिगरेट के पैकेट में लिखा होता हैं कि सिगरेट पीना स्वास्थ के लिए हानिकारक हैं और इससे कैंसर होता हैं लेकिन फिर भी लोग पीते हैं और पैसा बर्बाद करते हैं | लोग इससे छोड़ना चाहते हैं लेकिन छोड़ नहीं पाते हैं | ज्ञान हैं लेकिन किस चीज़ की कमी हैं जिसके कारण लोग जानबूझ कर अपना पैर पर कुल्हाड़ी मार रहे हैं, चाहकर भी रोक नहीं पा रहे हैं |
भगवान गीता में इसका जवाब देते हैं कि हम सब एक आत्मा हैं और कलयुग आते आते हमारी आत्मा की कला कम होती जाती हैं जिसके कारण हम आत्माओ की शक्ति छिण हो जाती हैं इसलिए हम चाहकर भी नशा छोड़ नहीं पाते हैं | भगवान ने गीता में कहे कि मीठे बच्चे अपने को आत्मा समझ मुझ परमपिता परमात्मा को याद करो(मनमनाभव) तो तुम्हारे जनम जनम के पाप भस्म हो जायेगे | याद से आत्मा पवित्र बनेगी और आत्मा में फिर से शक्ति आएगी | भगवान कहते हैं कि बच्चे मैं जब इस धरती पर आता हूँ(यदा-यदा ही धर्मश्य…) तो तुम बच्चो को मैं अपना परिचय अपने मुख से देता हूँ और तुम्हे सहज राजयोग(राजयोग मैडिटेशन) सिखाता हूँ जिससे तुम आत्माएं फिर से पावन बनकर पावन दुनिया(पैराडाइज़, स्वर्ग) के मालिक बनते हो |
भगवान हमें पावन बनाकर, राजयोग सीखा कर राजाओं का राजा बनाते हैं | तो इस प्रश्न का जवाब मुझ आत्मा के अनुभव से यही हैं कि हमें दिनभर मनमनाभव कि स्थिति में रहना हैं और रोज हमें गीता ज्ञान जो भगवान खुद दे रहे हैं उसको पढ़ना हैं, धारण करना हैं और रोज राजयोग का अभ्यास करना हैं | आप किसी भी ब्रह्मा कुमारीज के सेंटर पर जा सकते हैं जहां रोज गीता ज्ञान और सहज राजयोग का अभ्यास कराया जाता हैं | मैं आत्मा वही रोज जाकर यह पुरुषार्थ कर रहा हूँ | इससे हमारी आत्मा में शक्ति बढ़ती हैं और चाहे किसी भी प्रकार का नशा हो, आसानी से छूट जाता हैं |
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